शिक्षामित्रों और अनुदेशकों को पीएफ मिलने का रास्ता साफ

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लखनऊ। कानपुर समेत प्रदेश भर के करीब 1.60 लाख शिक्षामित्रों और अनुदेशकों को पीएफ मिलने का रास्ता साफ हो गया है। लखनऊ क्षेत्रीय भविष्य निधि आयुक्त कार्यालय ने मामले की सुनवाई के बाद यह फैसला सुनाया है। इसमें शिक्षामित्रों पर ईपीएफ के प्रावधान लागू कर एक अप्रैल 2015 से योजना का लाभ देने के निर्देश दिए गए हैं। 


वहीं शिक्षा मित्रों के संगठन ने 11 मार्च को महानिदेशक स्कूली शिक्षा एवं राज्य परियोजना निदेशक को पत्र भेजकर आदेश का क्रियान्वयन कराने की मांग की है। शहर में 3300 से अधिक शिक्षामित्र हैं। दरअसल, शिक्षामित्रों पर पीएफ विभाग के नियम एक अप्रैल 2015 से प्रभावी हो चुके हैं।

कानपुर समेत प्रदेश के किसी भी बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से पीएफ आदि का भुगतान नहीं किया जा रहा था। इसके बाद शिक्षामित्रों की शिकायत के बाद पीएफ विभाग की ओर से बीते एक साल से सेवन-ए की कार्रवाई की जा रही थी।


कानपुर स्थित क्षेत्रीय भविष्य निधि संगठन ने अगस्त 2019 में कानपुर नगर, कानपुर देहात, ललितपुर, महोबा के बीएसए के खाते विभाग ने अटैच कर लिए थे। कानपुर नगर के 3300 शिक्षामित्रों की देनदारी 8 करोड़ 53 लाख, कानपुर देहात 2650 के शिक्षा मित्रों की देनदारी 7 करोड़ 77 लाख, ललितपुर के 2300 शिक्षामित्रों की देनदारी 7 करोड़ 21 लाख और महोबा के 1600 शिक्षा मित्रों की देनदारी 4 करोड़ 48 लाख रुपये निकली थी।

इसके अलावा जिला लोक शिक्षा कल्याण समिति के 1150 प्रेरकों की 1 करोड़ 96 लाख की देनदारी निकाली गई थी। इसके बाद कानपुर बीएसए ने एक याचिका हाईकोर्ट में लगाई थी। इसमें कहा था कि ईपीएफ के प्रावधान उन पर लागू नहीं होते हैं।

कई सुनवाई के बाद दिसंबर 2019 में हाईकोर्ट लखनऊ खंड पीठ की बेंच ने सर्व शिक्षा अभियान के निदेशक को सभी शिक्षामित्रों का डाटा एक महीने के भीतर पीएफ विभाग को देने के निर्देश दिए हैं। इसके अलावा डाटा मिलने के बाद 8 सप्ताह में मामला निस्तारित करने को कहा था। इसके अलावा लखनऊ के पीएफ विभाग को पूरा मामला देखने के निर्देश दिए थे।

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