अकादमिक सत्र 2020-21 को लेकर स्कूल -कॉलेज प्रबंधन ने की कवायद शुरू

school-college-management-exercises-for-academic-session
TPT


नई दिल्ली। कोरोना वायरस महामारी और देशव्यापी लॉकडाउन के बीच केंद्र सरकार चाहता है कि स्कूल शिक्षा विभाग और उच्च शिक्षा विभाग ने अपने एकेडमिक कैलेंडर को रिशेड्यूल किया जाए। इसके तहत गर्मियों की छुट्टियों में कमी की जाए, लेकिन फिलहाल ये छुट्टियां आगे बढ़ा दी जाए। इससे बच्चों की पढ़ाई की नुकसान नहीं होगा।

अकादमिक सत्र 2020-21 को लेकर स्कूल-कॉलेज प्रबंधन ने कवायद शुरू कर दी है। इस बीच केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने सभी राज्यों के स्कूल बोर्ड और विश्वविद्यालय प्रबंधन से शैक्षणिक सत्र को रिशेड्यूल करने का आग्रह किया है। गौरतलब है कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की एक पैनल जल्द ही अपनी सिफारिशें मंत्रालय को सौंपेगी। ये पैनल लॉकडाउन के दौरान उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए ऑनलाइन कक्षाएं आयोजित करने और बची हुई सेमेस्टर परीक्षाएं और टर्म एग्जाम्स को लेकर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी।

मिली जानकारी के मुताबिक मानव संसाधन विकास मंत्रालय जल्द ही सभी राज्यों के शिक्षा मंत्रालय, बोर्ड और उच्च शिक्षा विभाग और प्रबंधन से गर्मियों की छुट्टियों को आगे बढ़ाने और इसमें कमी करने को लेकर पत्र जारी करेगा। मंत्रालय चाहता है कि लॉकडाउन खुलने और स्कूल-कॉलेज खुलने की स्थिति में बच्चों के सामने शैक्षणिक सत्र को लेकर कोई चिंता या सवाल ना हो। उन्हें पहले से ही सत्र, परीक्षा अवधि, छुट्टियों को लेकर स्पष्टता रहे।

मंत्रालय से जुड़े एक उच्च अधिकारी ने बताया कि मंत्रालय की ओर से प्रस्ताव के तहत 1 अप्रैल से गर्मियों की छुट्टियां लागू की जाएं, ताकि मई के दूसरे या तीसरे सप्ताह तक ये लागू रह सकेंगी। इससे लॉकडाउन की ये अवधि गर्मियों की छुट्टियों के साथ समायोजित हो सकेंगी और इससे अतिरिक्त छुट्टियां देने की स्थिति नहीं बनेगी।

इसके अलावा मंत्रालय के प्रस्ताव में छुट्टियों के दौरान संस्थानों से आग्रह किया गया है कि वे ऑनलाइन कक्षाएं लेते रहें। इस स्थिति में प्रैक्टिकल कार्यों को लॉकडाउन की अवधि तक लंबित कर दिया जाए। यदि संस्थाएं ऑनलाइन परीक्षाएं आयोजित कर सकती हैं तो वे अपने स्तर पर इसकी व्यवस्था और पुख्ता तैयारियां कर सकती हैं। हालांकि पब्लिक यूनिवर्सिटी ने ऑनलाइन परीक्षाएं आयोजित करने में असमर्थता जताई है, क्योंकि उनके पास इतने बड़े पैमाने पर इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं है।


Previous article
Next article

Ads Post 2

Ads Post 3