मुर्गा खरीदते समय हुए बवाल में दो गंभीर रूप से घायल

मुर्गा खरीदने को लेकर हुए विवाद में बिक्रेता व क्रेता में मारपीट हो गई। इस दौरान मुर्गा बेच रहा युवक व उसके साथियों ने मुर्गा खरीदने वाले व उसके साथी पर चाकू से हमला कर दिया, जिससे दोनों गंभीर रूप से घायल हो गए। इस दौरान विक्रेता भी घायल हो गया। 
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बलिया। सिकन्दरपुर थाना क्षेत्र के नवानगर ब्लॉक के समीप शनिवार की शाम मुर्गा खरीदने को लेकर हुए विवाद में बिक्रेता व क्रेता में मारपीट हो गई। इस दौरान मुर्गा बेच रहा युवक व उसके साथियों ने मुर्गा खरीदने वाले व उसके साथी पर चाकू से हमला कर दिया, जिससे दोनों गंभीर रूप से घायल हो गए। इस दौरान विक्रेता भी घायल हो गया। शोर सुनकर आसपास मौजूद लोग भी पहुंच गए और विक्रेता को पकड़ लिया। वहीं घायल युवकों को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सिकन्दरपुर पहुंचाया, जहां प्राथमिक उपचार के बाद एक की हालत गंभीर होने पर चिकित्सक ने जिला अस्पताल भेज दिया जहां से गंभीर अवस्था में एक का इलाज वाराणसी में चल रहा है। 

मिली जानकारी के अनुसार थाना क्षेत्र के कस्बा निवासी भोला यादव पुत्र अवधेश यादव (19 वर्ष) अपने दोस्त जितेंद्र पांडेय (21 वर्ष) के साथ शनिवार की शाम नवानगर ब्लॉक के समीप धोबहा पर मुर्गा खरीदने के लिए गया था। मुर्गा लेने के दौरान भाव को लेकर दोनों में कहासुनी हो गई। इसी दौरान मुर्गा बेच रहा युवक अपने अन्य साथियों के साथ मिलकर चाकू से भोला व जितेंद्र पर ताबड़तोड़ हमला कर गंभीर रूप से घायल कर दिए। शोर सुनकर आस-पास मौजूद लोग पहुंच गए और बिक्रेता व उसको दोस्तों को पकड़ लिया। वही घायल युवकों को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सिकन्दरपुर पहुंचाया, जहां भोला यादव की हालत गंभीर होने पर चिकित्सक ने प्राथमिक उपचार के बाद जिला अस्पताल भेज दिया। पुलिस ने घायलों के परिजनों की तहरीर पर तीन के खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज कर तीन को गिरफ्तार कर लिया है।


क्षेत्र में धड़ल्ले से चल रही है अवैध मुर्गा मीट की दुकान

सिकंदरपुर में शनिवार के दिन शाम को मुर्गे की दुकान पर मोलभाव को लेकर उपजे विवाद में मारपीट में चाकूबाजी की घटना घटित हो गई, जिसमें विक्रेता के द्वारा क्रेता के ऊपर चाकू से हमला कर दिया गया, जिसमें दो गंभीर रूप से घायल हो गए। घायलों में से एक की स्थिति गंभीर बनी हुई है, जिसे इलाज हेतु वाराणसी के ट्रामा सेंटर में भर्ती कराया गया है। इस दौरान पूरे क्षेत्र में यदि देखा जाए तो बिना बिना लाइसेंस के 50 से अधिक मुर्गा की दुकानें चल रही है। यहां सवाल यह उठता है कि आखिर बिना लाइसेंस दुकानों को चलवा कौन रहा है। कस्बे के अंदर गिने-चुने लोगों को ही लाइसेंस प्रदान की गई है। बावजूद इसके क्षेत्र के अधिकतर चट्टी चौराहों पर मुर्गे की दुकान अवैध रूप से संचालित होती हैं। 
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