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EDUCATION
देश में नई शिक्षा नीति लागू मानव संसाधन अब कहलाएगा शिक्षा मंत्रालय
Thursday, July 30, 2020
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- सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावेडकर ने संवाददाताओं को बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में नई शिक्षा नीति को मंजूरी दी गई।
नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को नई शिक्षा नीति को मंजूरी दे दी, जिसमें स्कूली शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक कई बड़े बदलाव किए गए हैं। सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावेडकर ने संवाददाताओं को बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में नई शिक्षा नीति को मंजूरी दी गई। नई शिक्षा नीति में स्कूल शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक कई बड़े बदलाव किए गए हैं। इसमें उच्च शिक्षा के लिए सिंगल रेगुलेटर रहेगा। इसके अलावा उच्च शिक्षा में 2035 तक 50% सकल नामांकन दर पहुंचने का लक्ष्य है।
इस नीति में मल्टीपल एंट्री और एग्जिट व्यवस्था लागू किया गया है। उच्च शिक्षा सचिव अमित खरे ने बताया कि आज की व्यवस्था में अगर 4 साल इंजीनियरिंग पढ़ने अथवा सेमेस्टर पढ़ने के बाद किसी कारणवश आगे नहीं पढ़ पाते हैं तो कोई उपाय नहीं होता। लेकिन मल्टीपल एंट्री और एग्जिट सिस्टम में 1 साल के बाद सर्टिफिकेट 2 साल के बाद डिप्लोमा और 3 या 4 साल के बाद डिग्री मिल जाएगी। यह छात्रों के हित में एक बड़ा फैसला है। वहीं जो छात्र रिसर्च में जाना चाहते हैं उनके लिए 4 साल तक डिग्री प्रोग्राम होगा, जबकि जो लोग नौकरी में जाना चाहते हैं वह 3 साल का ही डिग्री प्रोग्राम करेंगे।
नई व्यवस्था में एमए और डिग्री प्रोग्राम के बाद एमफील करने की छूट की भी एक व्यवस्था की गई है। उच्च शिक्षा सचिव अमित खरे ने कहा कि शिक्षा में कुल जीडीपी का अभी करीब 4.43 खर्च हो रहा है लेकिन उसे छह फीसद खर्च करने का लक्ष्य है और केंद्र एवं राज्य मिलकर इस लक्ष्य को हासिल करेंगे। उन्होंने कहा कि हिंदी और अंग्रेजी भाषाओं के अलावा आठ क्षेत्रीय भाषाओं में भी ई-कोर्स होगा। वर्चुअल लैब के कार्यक्रम को आगे बढ़ाया जाएगा। इसके साथ ही नेशनल एजुकेशन टेक्नोलॉजी फॉर मनाया जा रहा है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम अब शिक्षा मंत्रालय कर दिया गया है। वहीं स्कूली शिक्षा सचिव अनीता करवाल ने बताया कि राष्ट्रीय पाठ्यक्रम 2005 के 15 वर्ष हो गए हैं।
अब नया पाठ्य चर्चा आएगा। इसी प्रकार से शिक्षक शिक्षा के पाठ्यक्रम के भी 11 साल हो गए हैं। इसमें भी सुधार होगा। उन्होंने कहा कि बोर्ड परीक्षा के भार को कम करने की नई नीति में पहल की गई है। बोर्ड परीक्षा को दो भागों में बांटा जा सकता है जो वस्तुनिष्ठ और विषय आधारित हो सकता है। करवल ने कहा कि बच्चों की रिपोर्ट कार्ड के स्वरूप में बदलाव करते हुए समग्र मूल्यांकन पर आधारित रिपोर्ट कार्ड की बात कहीं गई है। जब बच्चा 12वीं कक्षा में निकलेगा तो उसके पास पूरा पोर्टफोलियो होगा। इसके अलावा पारदर्शी एवं ऑनलाइन शिक्षा को आगे बढ़ाने पर जोर दिया गया है।
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