कहीं यह महाप्रलय का संकेत तो नहीं


लगातार आ रहे भूकंप के झटकों और तूफानों की चेतावनी ने सबकी नींदें उड़ा दी है। ये सभी परिस्थितियां एक बड़े विनाश की ओर इशारा कर रही हैं। 
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नई दिल्ली। साल 2020 लोगों के लिए अच्छा नहीं जा रहा है। साल के दो माह बाद से ही देश में कई तरह की मुसीबतें टूट पड़ी हैं। एक तरफ जहां लोग कोरोना महामारी से जूझ रहे हैं तो वहीं लगातार आ रहे भूकंप के झटकों और तूफानों की चेतावनी ने सबकी नींदें उड़ा दी है। ये सभी परिस्थितियां एक बड़े विनाश की ओर इशारा कर रही हैं। नास्त्रेदमस की भविष्यवाणी समेत कई अन्य वैज्ञानिकों का अनुमान इस बात की पुष्टि करता है। 

दुनिया में मची इस उधल-पुथल के बारे में रिसर्च कर रहे वैज्ञानिकों ने बताया कि 26 करोड़ साल पहले धरती पर पहली बार महाप्रलय आई थी। जिसके बाद धरती से सारे जीव-जंतुओं का खात्मा हो गया था। साल 2020 में ऐसी परिस्थितयों के दोबारा सामने आने की आशंका है। इस सिलसिले में न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर मिशेल रेम्पिनो ने भी एक शोध के जरिए बताया था कि दुनिया में ऐसी भयंकर तबाही दोबारा हो सकती है। 

ऐसे में एक्सपर्ट्स का मानना है कि कहीं 2020 ही तो वह साल नहीं है जब धरती का विनाश होगा। प्रोफेसर ने शोध में यह भी बताया कि विनाश का कारण पर्यावरण के साथ हो रहा खिलवाड़ है। तभी पृथ्वी पर बाढ़ और ज्वालामुखी विस्फोट जैसी घटनाएं हुई थीं। ज्वालामुखी विस्फोट के बाद ही पूरी धरती पर लाखों किलोमीटर तक लावा फ़ैल गया था जिसमें जीव-जंतु समेत मानव प्रजाति का विनाश हो गया था। शोध में दावा किया गया है कि धरती पर महाप्रलय 6 बार हो चुकी है। इसकी संभावना 7 बार होने की भी है। भूवैज्ञानिक की ओर से जारी महाप्रलय की थ्योरी के मुताबिक धरती पर पांच बार महाप्रलय आई है।
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