बहुत फलदायी होगा इस अद्भुत संयोग में रक्षाबंधन

  • यह लगभग 30 वर्ष के बाद का संयोग है। यह अद्भुत संयोग इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि हर बार रक्षाबंधन पर भद्रा काल में राखी बांधने की मजबूरी से बचने के लिए बहनें लंबी तपस्या करती थीं। 
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आस्था। पूरे देश में आज रक्षाबंधन का पर्व मनाया जा रहा है। बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधकर उनकी लंबी उम्र की कामना करती हैं। अबकीबार काफी लंबे समय के बाद एक अद्भुत संयोग बन रहा है, जो न सिर्फ बहनों के लिए, बल्कि भाइयों के लिए भी काफी अच्छा और फलदायी माना जा रहा है। इसबार रक्षाबंधन का पर्व सोमवार के दिन पड़ रहा है, जब सावन का सोमवार और पूर्णिमा का साथ हो, तो यह विशेष फलदायी होता है। इस अद्भुत संयोग में रक्षाबंधन का पर्व मनाना बहुत फलदायी होगा।

सोमवती पूर्णिमा का विशेष फल पुराणों में वर्णित है। सावन के अंतिम सोमवार के साथ ही पूर्णिमा के साथ मिलना यह लगभग 30 वर्ष के बाद का संयोग है। यह अद्भुत संयोग इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि हर बार रक्षाबंधन पर भद्रा काल में राखी बांधने की मजबूरी से बचने के लिए बहनें लंबी तपस्या करती थीं। भद्रा खत्म होने का इंतजार करने की वजह से पूरा दिन उन्हें इंतजार करना पड़ता था, लेकिन इस बार सुबह 8:29 पर भद्रा खत्म हो रही है। सुबह 8:30 से लेकर रात्रि 8:21 तक पूर्णिमा मिल रही है। इसका तात्पर्य साफ तौर पर है कि रक्षाबंधन का पर्व पूरा दिन मनाया जा सकता है, जो विशेष फलदायी होगा।

आज इस विशेष दिन पर सूर्य भी नक्षत्र परिवर्तन कर रहा है। वर्तमान समय में सूर्य पुनर्वसु नक्षत्र में विराजमान है। सावन के अंतिम सोमवार यानी रक्षाबंधन के दिन सूर्य 10:40 पर सुबह पुनर्वसु नक्षत्र में प्रवेश करेगा। पुनर्वसु नक्षत्र का स्वामी कर्क है और कर्क के अधिपति चंद्रमा है। सूर्य और चंद्रमा का मित्रवत संबंध होने की वजह से यह विशेष फलदायी होगा। 



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