बेसिक शिक्षा विभाग में एक और बड़े आपरेशन को अंजाम देने जा रही है प्रदेश सरकार

 

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लखनऊ। लगभग नौ वर्षों तक बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव रहे संजय सिन्हा और उनके कार्यालय के स्टाफ की विजिलेंस जांच के बहाने प्रदेश सरकार बेसिक शिक्षा विभाग में एक और बड़े आपरेशन को अंजाम देने जा रही है। प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ा रहे फर्जी शिक्षकों का फंडाफोड़ होने के बाद अब तबादलों, मृतक आश्रित कोटे में हुई नियुक्तियों, नियम विरुद्ध प्रोन्नतियों और बर्खास्त शिक्षकों की बहाली का मामला खुलने वाला है। इस बार जांच की कमान एसटीएफ के बजाए सतर्कता अधिष्ठान (विजिलेंस) के हाथ में होगी। 

निदेशक साक्षरता, वैकल्पिक शिक्षा, उर्दू एवं प्राच्य भाषाएं के पद से शुक्रवार को निलंबित किए गए संजय सिन्हा पर विजिलेंस जांच का शिकंजा तब कसने जा रहा है जब वह सेवानिवृत्ति के करीब हैं। इसी तरह पूर्व में निदेशक माध्यमिक शिक्षा के पद पर रहे संजय मोहन को अपने सेवाकाल के अंतिम दिनों में जेल तक जाना पड़ गया था। उस समय वह टीईटी घोटाले में फंसे थे।  

उनके विरुद्ध शिकायतों की जांच कर रहे महानिदेशक स्कूल शिक्षा विजय किरन आनंद को कदम-कदम पर बाधाओं का सामना करना पड़ा। एक साल से भी ज्यादा समय में उनकी जांच पूरी हो पाई, जिसमें प्रारंभिक तौर पर कई गंभीर आरोपों की पुष्टि हुई। 


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