मनुष्य को कर्तव्यों का बोध कराती है रामकथा : डॉ. शैलेश सिंह शौर्य



राघवेंद्र सिंह

पूर, बलिया। खेजुरी स्थित शिव मंदिर पूर्ण पोखरा पर परम् पूज्य आचार्य श्री दयाशंकर शास्त्री जी महाराज के नेतृत्व में आयोजित नौ दिवसीय श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ के आठवें दिन भारतीय जनता पार्टी के युवा नेता, ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा के सहायक प्रोफेसर डॉ. शैलेश सिंह शौर्य  एवं युवा शिक्षाविद् डॉ. फतेबहादुर सिंह के द्वारा वेदी पूजन व अयोध्या से पधारी हुई मानस किंकरी प्रिया जी का माल्यार्पण कर रामकथा का शुभारंभ किया गया।  

उक्त अवसर पर मुख्य अतिथि डॉ. शौर्य प्रताप सिंह ने आयोजनकर्ता परम् पूज्य आचार्य श्री दयाशंकर शास्त्री जी महाराज के प्रति आभार प्रकट किया साथ ही उन्होंने श्रद्धालुओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि श्रीराम कथा विश्व कल्याणदायनी है, लोक मंगलकारी है। प्रभु श्रीराम का आचरण एवं व्यवहार अपनाने से जीवन आनंदमय हो जाता है। गोस्वामी तुलसीदासजी महाराज ने श्रीराम कथा के माध्यम से मानव जीवन संबंधों की महत्ता स्थापित की है। 

यही वजह है कि श्रीरामचरित मानस में गुरु, माता-पिता, पुत्र-पुत्री, भाई, मित्र, पति-पत्नी आदि का कर्तव्य बोध एवं सदाचरण की सीख हमें सर्वत्र मिलती है। विशिष्ट अतिथि मिथिला विश्वविद्यालय के युवा शिक्षाविद् डॉ फतेबहादुर सिंह ने उद्गार व्यक्त करते हुए कहा कि प्रभु राम के चरित्र को जीवन में आत्मसात कर ही सनातन संस्कृति की रक्षा की जा सकती है। हम सभी को मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम के चरित्र और आचरण से प्रेरणा लेकर राम राज्य की स्थापना में योगदान देना चाहिए। कथा वाचन करते हुए मानस किंकरी प्रिया जी ने भगवान राम की महिमा का व्यख्यान करते हुए कहा कि हरि ब्यापक सर्बत्र समाना। प्रेम तें प्रगट होहिं मैं जाना॥

देस काल दिसि बिदिसिहु माहीं। कहहु सो कहाँ जहाँ प्रभु नाहीं॥ किया। उन्होंने बताया कि श्री राम का भाव है सदैव रहने वाली सत्ता भाव जिसका न ही जन्म होता है न ही मरण। जब किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है तब उसके नाम के आगे स्वर्गीय लग जाता है, लेकिन जब अवतारी पुरुष अपनी लीला को समेट कर इस धरा से जाते हैं तो उनके नाम के आगे स्वर्गीय नहीं लगता, क्योंकि वह सत्ता अविनाशी है। आगे मानस किंकरी ने बताया कि श्री राम कण-कण में रमण करने वाली शक्ति है और श्री राम की कथा श्रवण करने से इंसान भवसागर से पार हो जाता है।

इस दौरान परम् पूज्य आचार्य श्री दयाशंकर शास्त्री  जी महाराज, कथा वाचक रामधनी दास जी महाराज, अमर दास जी महाराज, युवा समाजसेवी श्री सुजान सिंह, कमलेश सिंह, मृत्युंजय ठाकुर, कृष्णा तिवारी, विपुल सिंह, पवन सिंह, राजू सिंह, धीरज, लालबाबू, प्रिंस सिंह, वीरू सिंह, मोनू सिंह, रोहित कुमार सिंह, जयशंकर दुबे, नीरज चौरसिया, वीरबहादूर सहित क्षेत्र के सैकड़ों श्रद्धालु कथा रूपी सागर में गोता लगाते रहे।

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