Ballia: भक्तों की अभिलाषा पूर्ण करती हैं खरीद की मां भवानी
संतोष शर्मा
सिकंदरपुर, बलिया। जिले में पौराणिक महत्व के तमाम मंदिर हैं। खरीद की भवानी और वरदहस्ता देवी मंदिर भी एक है। यहां नवरात्र ही नहीं वर्ष पर्यंत श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है। यहां की मां की प्रतिमा अनोखी मानी जाती है क्योंकि वह दिन में तीन रूप धारण करती है।
खरीद गांव का यह दिव्य व पौराणिक मंदिर आस्था का केंद्र है
सिकंदरपुर-मनियर मार्ग पर करीब छह किमी की दूरी पर स्थित खरीद गांव का यह दिव्य व पौराणिक मंदिर आस्था का केंद्र है। यहां पूरे वर्ष दर्शनार्थियों का तांता लगा रहता है। नवरात्र में तो यह संख्या कई गुना बढ़ जाती है। भगवती की आराधना कर रहे परिवार के वयोवृद्ध पुजारी बृजराज उपाध्याय ने बताया कि जाफरानी खरीद (नया नाम खरीद) का इलाका जंगल हुआ करता था। इसी जंगल में घाघरा नदी के तट पर मेधा ऋषि का आश्रम था। अपना राजपाट गंवाने के बाद राजा सूरथ व समाधि नामक वैश्य इस आश्रम में पहुंचे थे। दोनों की व्यथा सुन ऋषि ने उन्हें देवी उपासना की सलाह दी। दोनों के नदी तट पर देवी की मिट्टी की मूर्ति बनाकर जप किया।
दो वर्षों की तपस्या के बाद देवी ने दर्शन
दो वर्षों की तपस्या के बाद देवी ने दर्शन दिया तो राजा व वैश्य ने मनोवांछित सिद्धि के साथ यहां नित्य विराजमान हो कल्याण का वरदान मांगा था। अपना आशीष व अभीष्ट सिद्धि का वरदान दे मां अंतर्ध्यान हो गईं। मां के आशीर्वाद से राजा सूरथ व समाधि वैश्य को अभीष्ट की प्राप्ति हुई। राज्य मिलने के बाद राजा ने खरीद में ही तपस्या स्थल से 500 मीटर की दूरी पर वरदहस्ता भगवती की अष्टधातु की मूर्ति स्थापित करवाई, जो जमीन में दब गई थी।
करीब 200 वर्ष पूर्व एक महिला को खूंटा गाड़ते समय मूर्ति का पता चला
कहा जाता है कि करीब 200 वर्ष पूर्व एक महिला को खूंटा गाड़ते समय मूर्ति का पता चला। इसे निकाल कर विधिवत स्थापित कर मंदिर का निर्माण कराया गया। दोनों मंदिर भक्तों की अभीष्ट सिद्ध कर रहे हैं। मान्यता है कि यहां की प्रतिमा सुबह से शाम तक तीन बार अपना रूप बदलती है।
प्रतिमा सुबह से शाम तक तीन बार अपना रूप बदलती है
सुबह मां तरुणा के रूप में नजर आती हैं, तो अपराह्न में प्रौढ़ रूप का दर्शन होता है। शाम के समय वृद्धा के रूप में दर्शन देती हैं। मां की शक्ति व चमत्कार का ही नतीजा है कि यहां श्रद्धालु अपनी अर्जी लगाने से नहीं चूकता। समय समय पर भवानी माई के दरबार में दिग्गजों ने भी मत्था टेका है। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, पूर्व राज्यपाल रोमेश भंडारी व मोतीलाल बोरा आदि नेता यहां आ चुके हैं।