बलिया में बोले सपा सुप्रीमो, उत्तर प्रदेश ही नहीं, देश की जनता भाजपा को हटाना चाहती है



बलिया। सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव शनिवार को बलिया के बिसुकीया गांव पहुंचे। अखिलेश यादव ने सपा के पूर्व जिलाध्यक्ष राजमंगल के निधन पर शोक व्यक्त किया। इसके साथ ही वह राजमंगल के परिजनों से मिले और उन्हें ढांढस बंधाया। मीडिया से मुखातिब होते हुए अखिलेश ने बीजेपी पर निशाना साधा। सपा प्रमुख ने कहा, ''एक बात तो साफ है कि उत्तर प्रदेश ही नहीं, देश की जनता भाजपा को हटाना चाहती है। प्रधानों के बजट का पैसा काटकर विकसित भारत का सपना पूरा नहीं कर सकते। घोषणा पत्र में की गई घोषणा आधे अधूरे क्यों है?''सपा प्रमुख ने कहा, ''सपा पूरी जिम्मेदारी से इंडिया गठबंधन के साथ है। गठबंधन में किसको क्या जिम्मेदारी दी जाएगी, बहुत जल्द जानकारी दे दी जाएगी। 

उन्होंने सत्तारूढ़ भाजपा पर आरोप लगाते हुए कहा कि विकसित भारत का कोट देकर, गांव-गांव गाड़ी दौड़ाकर विकसित भारत संभव नहीं है। देश की सुरक्षा और सीमाओं की सुरक्षा के बारे में सोचना होगा। अग्नि वीर जैसी योजना से यह संभव नहीं है। युवाओं को रोजगार के लिए भी यह सही नहीं है। राम मंदिर को लेकर चुनावी लाभ उठाने की चर्चा करते हुए अखिलेश यादव ने कहा, ''धर्म, राजनीति का हिस्सा नहीं हो सकता। भाजपा को (किसानों की) आय दोगुनी हुई कि नहीं? युवाओं को रोजगार मिला कि नहीं? इन सवालों का जवाब देना पड़ेगा। चूंकि भाजपा के पास इन सवालों का जवाब नहीं है, इसलिए वह धर्म के पीछे छिप जाती है।

राम मंदिर में रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने के सवाल पर अखिलेश यादव ने कहा, ''भाजपा के लोग कह रहे हैं कि जिसके पास निमंत्रण पत्र होगा, वही जाएगा। हमारा पक्ष ये है कि भगवान जब बुलाएंगे तो भाजपा भी नहीं रोक पाएगी।

अखिलेश ने कहा, ''हमारा मन दर्शन करने को तो क्या हमें कोई रोक पाएगा। भाजपा कैसे तय कर सकती है कि किसको बुलाना है और किसको नहीं बुलाना है। इसका मतलब भगवान श्री राम की तरफ से नहीं बुलावा है, यह भाजपा की तरफ से बुलावा है।'' इंडिया गठबंधन में प्रधानमंत्री पद की दावेदारी के सवाल के जवाब में अखिलेश यादव ने कहा, ''कभी कभी कम (सीटों) वाले भी प्रधानमंत्री बनते हैं। पर, हमारे लिए मुख्य यह है कि भाजपा हारे। उन्होंने कहा कि सवाल यह नहीं है कि कौन किस पद पर बैठेगा। आप बलिया के हैं, यहां के (चंद्रशेखर) प्रधानमंत्री रहे हैं। आप इन बातों को समझते हो और परिस्थितियों को भी सब समझते हो। कभी कभी कम वाले भी प्रधानमंत्री बनते हैं। चंद्रशेखर 1990 में अपनी पार्टी के कम सांसदों के बावजूद कांग्रेस के समर्थन से प्रधानमंत्री बने थे।''

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