जिनका स्वरुप सत्-आनन्द है, वह परमात्मा का स्वरुप सत् आनंद है: स्वामी ईश्वर दास ब्रह्मचारी
बेल्थरारोड (बलिया)। अद्वैत शिवशक्ति परमधाम डूहां के परिबज्रकाचार्य स्वामी ईश्वर दास ब्रह्मचारी ने यहां सर्वेश्वर मानस मंदिर चैकिया के मंच से परमात्मा की चर्चा करते हुए कहा कि जिनका स्वरुप सत्-आनन्द है। वह परमात्मा का स्वरुप सत् आनंद है। परमात्मा की अंतरंग शक्ति प्रकट हुई। उसे पराशक्ति कहते है। ग्रंथो में परमात्मा के स्वरुपों की जो चर्चा की गयी है वह अद्वितीय व अलौकिक है।
सर्वेश्वर मानस मंदिर चैकिया के तत्वावधान में चल रही पंच कुण्डीय अद्वैत शिव शक्ति महायज्ञ एवं हनुमान महोत्सव के मौेके पर प्रथम दिन की कथा में परिबज्रकाचार्य स्वामी ईश्वर दास ब्रह्मचारी ने कहा कि अनेक ग्रंथों में 64 पंथ रहे है। इस समय अनेक पंथ लुप्त हो गये। दो-एक पंथ रह गये हैं। जिसमें परमातम की अलौकिक लीला का वर्णन किया गया है। परमात्मा का स्वरुप, उनकी लीला क्षेत्र, लीला क्षेत्र यह सब नित्य है। उस समय को याद करे, जब यह पृथ्बी नही थी। हवा, अग्नि, आकास, जल, हवा, अहंकार नही था। इसके विना सृष्टि की रचना नही रह सकती थी। उसके विना यह संसार रहने वाला नही था। ये ब्रम्हांड है, प्रकृति भी नही थी, मूल प्रकृति भी नही थी। इसे परब्रह्म, अनादि, अनंत, अद्वैत, आनामय, सच्चिदानन्द स्वरुप परमात्मा शिव विराज हैं। उन्होने परमधाम की विस्तार से चर्चा करते हुए उसका ब्याख्यान भी किया। कथा के अंत में कहा कि अपने अन्तरांत्मा की आवाज पहचानों और गलत कृत्यों से बचकर जीवन को धन्य बनाने का प्रयास सभी को करना चाहिए।
वृन्दावन से पधारे पं. प्रवीण कृष्ण जी महाराज ने कहा कि शिव पुराण की कथा सुनने से पापी से पापी ब्यक्ति से कल्याण हो सकता है। कहा कि पति, पत्नी, गृहस्त, सन्यासी को अपनी सीमा में रहना चाहिए। पति-पत्नी की आपसी प्रेम की सीमाओं में रहकर प्रेम करने की सीमा बताई। कहा कि पाप करना उतना बड़ा पाप नहीं है, जितना बड़ा पाप को स्वीकार करना नही होता है। प्रायश्चित करने से सभी पापों का नाश हो जाता है। प्शर्ते की उस पाप की पुनरावृत्ति न हो। शिव महापुराण की चर्चा करते हुए कहा कि उसमें इलाहाबाद का नाम नही प्रयागराज लिखा है।
अलीगढ़ का नाम हरीगढ़ एवं दिल्ली का नाम इन्द्रप्रस्त रहा है। कहा कि साधु जब मौका पाता है तो अपना काम करता है। अभी तो बहुत कुछ बदलना बाकी है। उन्होने अद्वैत शिवशक्ति परमधाम डूहां के परिबज्रकाचार्य स्वामी ईश्वर दास ब्रह्मचारी के ब्यक्तित्व की चर्चा की। कहा कि केवल दर्शन से ही आपका दर्शन धन्य हो जायेगा। इससे पूर्व प्रथम दिवस सोमवार को दिन में यज्ञाचार्य पंडित रेवती रमण तिवारी व उनकी बैदिक रिति-रिवाज से यज्ञ मण्डप में पूजन अर्चन सम्पन्न हुआ था।
प्रबचन के उपरान्त दिब्य आरती का आयोजन सम्पन्न हुआ। फिर सभी श्रोताओं के लिए महाप्रसाद का भोज भी कराया गया। यज्ञ आयोजक अशोक गुप्ता ने बताया कि दोपहर एवं शाम को प्रबचन के बाद श्रोताओं के लिए प्रतिदिन महाप्रसाद का भोज कराने की ब्यवस्था की गयी है।